जानिए शरीर पर क्यों और कैसे होते हैं सफेद दाग, क्या है इनका इलाज l देखिए video

सफेद दाग के बारे में आम धारणा है कि यह कुष्ठ रोग है और पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है, जबकि डॉक्टरों का मानना है कि यह कोई संक्रामक और आनुवांशिक रोग नहीं है। मरीज की वजह से उसके रिश्तेदारों में इसके होने की आशंका एक से दो प्रतिशत ही होती है।
ऐसे फैलता है-
त्वचा का रंग बनाने वाली कोशिकाएं मेलोनोसाइट कम या खत्म होने पर शरीर में जगह-जगह सफेद दाग होते हैं। इसकी कई वजह होती हैं।
ऑटो इम्यून थ्योरी-
जब शरीर का ऑटो इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता उल्टा असर दिखाने लगती है, जिससे शरीर में रंग बनाने वाली कोशिका खत्म हो जाती हैं।
टॉक्सिक थ्योरी-
खानपान में मिलावट, पर्यावरण प्रदूषण और फल व सब्जियों को उगाने में कीटनाशकों का प्रयोग।
न्यूरल थ्योरी-
नसों में किसी तरह की क्षति होने पर मेलानिन की कमी हो जाती है।
कंपोजिट थ्योरी-
इस थ्योरी में ऑटो इम्यून, टॉक्सिक और न्यूरल थ्योरी तीनों वजह से सफेद दाग होते हैं।
दो तरह के ग्राफ्टिंग ट्रीटमेंट-
स रकारी अस्पतालों में सर्जरी के पैसे नहीं लगते हैं, सिर्फ दवाइयों का खर्च होता है, जो 1000-1500 रुपए तक हो सकता है। प्राइवेट अस्पतालों में 10-15 हजार रुपए खर्च आता है। ग्राफ्टिंग दो तरह से होती है- सक्शन ब्लिस्टर एपिडरमल ग्राफ्टिंग: सफेद दाग से प्रभावित शरीर के छोटे हिस्से को कवर किया जाता है। वैक्यूम सक्शन के जरिए छाला बनाकर इलाज होता है।
पंच ग्राफ्टिंग : कान के पीछे या शरीर के किसी भी हिस्से से त्वचा लेकर उसे प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है। नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल) [ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. EkBharat News अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]