क्या Remand में Police आपको मार सकती है ? देखिए video
हमारे देश में पुलिस जब किसी भी मामले में किसी आरोपी को गिरफ्तार करती है. तो उसके बाद एक शब्द अक्सर सुनने में आता है, जो है ‘पुलिस रिमांड.’ पुलिस आरोपी या अपराधी को एक प्रक्रिया के तहत रिमांड पर लेती है. आइए जानते हैं कि क्या होती है पुलिस रिमांड और इसका अदालत से क्या संबंध होता है.
क्या होती है पुलिस रिमांड
जब पुलिस किसी गंभीर मामले या गैर जमानती अपराध की धारा के तहत किसी आरोपी या अपराधी को गिरफ्तार करती है, तो 24 घंटे के भीतर पुलिस को उस आरोपी या अपराधी को अपने एरिया या नजदीकी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश करना होता है. ऐसे में पुलिस को अगर संबंधित मामले में उस आरोपी या अपराधी से पूछताछ करनी हो और उस केस में पूछताछ जरूरी हो. तो पुलिस मजिस्ट्रेट को एक अर्जी देकर पूछताछ के लिए आरोपी या अपराधी की हिरासत यानी रिमांड मांगती है.
पुलिस की अर्जी और केस की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट या जज उस आरोपी या अपराधी को एक दो दिन या पुलिस की मांग मुताबिक पुलिस की हिरासत में दे देते हैं. इसी प्रक्रिया को कानून की किताब में पुलिस रिमांड कहा जाता है. पुलिस रिमांड की अवधि खत्म हो जाने पर या तो पुलिस फिर से रिमांड मांगती है या जरूरत नहीं होने पर मजिस्ट्रेट या जज उस आरोपी या अपराधी को अपनी कस्टडी में लेकर जेल भेज देते हैं.
क्या होती है पुलिस
पुलिस अधिनियम 1861 के अधीन भर्ती संबंधित विभाग में भर्ती किए गए सभी लोग ‘पुलिस’ माने जाएंगे. इसका मतलब यह है कि इस अधिनियम के अंतर्गत जितने भी लोगों को पुलिस बल के लिए भर्ती किया गया है, वे सभी पुलिस के अंतर्गत आते हैं. पुलिस जनता के जान-माल की रक्षा करने, शांति व्यवस्था बनाए रखने और सामाजिक सुरक्षा का प्रबंध करने वाला सरकारी महकमा है. जिसके तहत पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं. नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल) [ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. EkBharat News अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]