क्या होगा अगर धरती का Core ठंडा हो जाए? | देखिए video

वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्माण्ड के दूसरे ग्रह ही नहीं बल्कि खुद पृथ्वी (Earth) भी अध्ययन करने के लिहाज से रोचक ग्रह है. इसकी सतह के साथ इसकी आंतरिक संरचना (Internal Structure of Earth) पर भी गहन शोध होते हैं जिसके बारे में जानना बहुत ही मुश्किल काम है. अब तक के अध्ययनों से पता चला है कि पृथ्वी का क्रोड़ (Core of the Earth) बहुत ज्यादा गर्म है लेकिन यह बहुत ही धीमी गति से ठंडा भी हो रहा है. हालांकि यह अब भी शोध का ही विषय है कि यह अब तक ठंडा क्यों नहीं हुआ, इसके ठंडा हो जाने का क्या असर होगा यह भी एक बहुत रोचक प्रश्न है. आइए जानते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान?
मंगल से तुलना
पृथ्वी का क्रोड़ सुर्खियों में तब ज्यादा आया जब वैज्ञानिक यह जानने का प्रयास कर रहे थे कि मंगल ग्रह पर जीवन क्यों नहीं है. इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि मंगल ग्रह का खुद की मैग्नेटिक फील्ड नहीं है जो तभी हो सकती है जब उसका क्रोड़ सक्रिय हो, गर्म हो. मंगल का क्रोड़ ठंडा हो चुका है और इस वजह से वहां वायुमंडल भी नहीं है और इसी कारण मैग्नेटिक फील्ड भी नहीं थी जो खगोलीय विकिरण और सौर विकिरण से रक्षा कर पाती.
क्रोड़ की ठंडक में अंतर क्यों
इस वजह से लोगों में यह कौतूहल जागा कि क्या कारण है कि मंगल का क्रोड़ तो ठंडा हो गया लेकिन पृथ्वी का क्रोड़ अभी तक गर्म क्यों है. इसी तुलना में यह भी पता चला कि पृथ्वी के गर्म क्रोड़ की यहां के जीवन के लिए क्या अहमियत है. सच यह है कि पृथ्वी का क्रोड़ ठंडा तो हो रहा है, लेकिन उसकी गति काफी धीमी है. लेकिन एक ना एक दिन यह ठंडा जरूर हो जाएगा, और जब ऐसा होगा तब शायद पृथ्वी के हालात भी मंगल की तरह हो जाएं.
तो क्या होगा असर
वैज्ञानिकों को स्पष्ट मानना है कि जब पृथ्वी का क्रोड़ ठंडा होगा तब उसका इस ग्रह पर गहरा असर होगा. पहले पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड खत्म हो जाएगी जो वायुमंडल को कायम रखने में सबसे बड़ा कारक है. यानि इससे वायुमडंल भी धीरे धीरे उड़ कर खत्म होने लगेगा. इतना ही नहीं धरती पर होने वाले ज्वालामुखी और भूकंप भी खत्म हो जाएंगे.
पूरी तरह से नहीं पिघला है क्रोड़
साफ है ऐसे हालात में जीवन का कायम रहना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा लेकिन यह समस्या कई अरब सालों तक नहीं आएगी. फिलहाल पृथ्वी का क्रोड़ पूरी तरह से पिघला हुआ नहीं है. जहां आंतरिक क्रोड़ ठोस लोहे का बना हुआ है,वहीं बाहरी क्रोड़ हजारों किलोमीटर मोटी पिघले हुए लोहे की परत से बना है.
धीरे धीरे क्रोड़ हो रहा है ठंडा
वैज्ञानिकों को यह बात भूपंकपीय तरंगों के जरिए पता चली जो भूकंप के आने पर निकलती हैं. उन्होंने भूकंप के केंद्र के दूसरी तरफ के अवलोकनों से पाया कि अगर आंतरिक् क्रोड़ भी पिघला हुआ होता तो उन्होंने ये तरंगे उस तरह की हासिल नहीं होती जैसी मिलती हैं. जब पृथ्वी का निर्माण 4.5 अरब साल पहले हुआ था, उस समय पूरा का पूरा क्रोड़ वाकई पिघला हुआ ही था. तब से पृथ्वी धीरे धीरे ठंडा हो रहा है. नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल) [ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. EkBharat News अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]