दूसरे देशों के Satellites को Space में भेजकर इसरो कैसे कमा रहा है अरबों?
को एकसाथ अंतरिक्ष में पहुंचाने का शानदार ट्रैक रेकॉर्ड है। 23 जून को पीएसएलवी सी38 712 कि.ग्रा. का कार्टोसेट-2 सैटलाइट के साथ-साथ 30 अन्य सैटलाइट्स को अंतरिक्ष ले गया। इनमें 29 सैटलाइट्स 14 दूसरे देशों के थे। बुधवार को सरकार ने बताया कि इन 29 सैटलाइट्स की लॉन्चिंग से इसरो की कमर्शल यूनिट ऐंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लि. को 45 करोड़ रुपये (6.1 मिलियन यूरो) की कमाई हुई।
3 जून की मल्टिपल लॉन्चिंग से पहले इसरो ने 15 फरवरी को अपने पीएसएलवी सी37 से एकसाथ 104 सैटलाइट्स अंतरिक्ष में भेजकर वर्ल्ड रेकॉर्ड बना दिया था। हालांकि, इसरो ने उस लॉन्चिंग में हुई कमाई की जानकारी नहीं दी।
दरअसल, अंतरिक्ष की कक्षा में उपग्रहों को भेजने के बिजनस काफी प्रतिस्पर्धा हो गया है। स्पेसएक्स की फाल्कन 9, रूस की प्रोटॉन यूएलए और एरियनस्पेस जैसी कंपनियों की स्पेस इंडस्ट्री में धाक है। लेकिन, एंट्रिक्स की किफायती दरें और छोटे उपग्रहों को अंतिरक्ष में भेजने में इसरो की महारत से विदेशी ग्राहकों आकर्षित करने में लगातार कामयाबी मिल रही है।
15-16 में एंट्रिक्स ने विदेशी सैटलाइट्स की लॉन्चिंग से 230 करोड़ रुपये कमाए थे जो ग्लोबल लॉन्च सर्विस मार्केट की कुल आमदनी का 0.6% हिस्सा है। 2013 से 2015 तक इसरो ने 28 विदेशी उपग्रह अंतरिक्ष में भेज चुका है। इनसे ऐंट्रिक्स को करीब 600 करोड़ रुपये (80.6 मिलियन यूरो) की कमाई हुई।
वैश्विक स्तर पर स्पेस इंडस्ट्री अभी 200 अरब डॉलर (करीब 12,871 अरब रुपये) की आंकी जा रही है। हालांकि, ऐंट्रिक्स के हिस्से सैटलाइट मार्केट का बिल्कुल छोटा हिस्सा ही हाथ लग रहा है। लेकिन, इस बात की भरपूर संभावना है कि देश की यह स्पेस एजेंसी भविष्य में जबर्दस्त मुनाफा कमाएगी।नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल) [ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. EkBharat News अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]