दुनिया का पहला समुद्र पर तैरता एयरपोर्ट जानिए किस देश में है। देखिए video

अगले कुछ सालों में समुद्र के बीच तैरते एयरपोर्ट दुनिया का सफर आधा कर सकते हैं। कोशिशें अगर कामयाब होती हैं तो लंबी उड़ानों के दौरान लगने वाला अनचाहा वक्त कम हो सकता है। साथ ही छोटे विमान भी लंबी दूरी का सफर तय कर पाएंगे। समुद्र में तैरते एयरपोर्ट न सिर्फ समय की बचत करेंगे बल्कि यात्रा का खर्च भी घटाएंगे। आइए जानते हैं समुद्र में तैरते एयरपोर्ट की योजना के बारे में।
समुद्र में हवाई पट्टी की बात करते ही आपके जेहन में विमानवाहक युद्धपोतों की तस्वीर उभर आती होगी। हालांकि ये विमानवाहक पोत सिर्फ लड़ाकू विमानों को ही उड़ने और लैंड करने की सुविधा देते हैं। अब एक्सपर्ट यात्री विमानों के लिए तैरते हुए एयरपोर्ट बनाने का विचार कर रहे हैं। सुनने में भले ही यह अजीब लगे लेकिन अगर कोशिश सफल रही तो आने वाले कुछ समय में ही इस योजना पर काम शुरू हो जाएगा।
अमेरिकी इंजीनियर का सपना
अमेरिका के एरोनॉटिकल इंजीनियर टेरी ड्रिंकार्ड ने समुद्र में तैरने वाले हवाई अड्डे का सपना देखा है। उन्होंने इस क्षेत्र में काफी शोध किया है। टेरी का कहना है कि समुद्र में तैरते हुए एयरपोर्ट बनाने के लिए किसी नई तकनीक की जरूरत नहीं होगी। समुद्र की गहराई से तेल और गैस निकालने के लिए जिन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, उन्हीं के जरिए समुद्र में तैरने वाला रनवे बनाया जा सकता है। टेरी ने पानी में तैरने वाले ऐसे रनवे का सिद्धांत तैयार किया है, जिसपर बोइंग 737 जैसा विशालकाय विमान भी उतारा जा सकता है।
समुद्री पानी से एयरपोर्ट की बिजली बनेगी
इस एयरपोर्ट की बिजली की जरूरतें पूरी करने के लिए अलग से बिजली नहीं लानी पड़ेगी। टेरी ड्रिंकार्ड ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के जरिए इसकी बिजली बनाने का जुगाड़ खोज निकाला है। समुद्र के बीच तैरते हुए एयरपोर्ट के लिए समुद्र की लहरों से बिजली बनाई जाएगी। सौर ऊर्जा के अलावा ‘ओसियन थर्मल एनर्जी कनवर्शन’ के सिद्धांत का इस्तेमाल किया जाएगा। इस सिद्धांत के तहत समुद्र की गहराई में आने वाले तापमान के अंतर से बिजली पैदा की जाती है। टेरी के मुताबिक इस एयरपोर्ट का इस्तेमाल न सिर्फ यात्री विमानों को उतारने और उड़ान भरने के लिए होगा बल्कि यह आकर्षक एयरपोर्ट कई आर्थिक गतिविधियों का हब भी बन सकता है।
दो इंजन वाले विमानों की जरूरत नहीं होगी
वर्तमान समय में समुद्र के ऊपर से उड़कर लंबी दूरी की यात्रा तय करने वाले विमानों में दो इंजन लगाए जाते हैं ताकि ईंधन कम होने पर दूसरे इंजन का इस्तेमाल किया जा सके। ऐसे विमानों के निर्माण का खर्च और उनमें यात्रा करना काफी महंगा सौदा साबित होता है। ऐसे में इस खास एयरपोर्ट के बनने से यात्रा का खर्च भी कम होगा। टैरी के इस तैरते हुए समुद्री एयरपोर्ट के जरिए अटलांटिक महासागर को जोड़ने में भी मदद मिलेगी। नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल) [ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. EkBharat News अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]