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मायोंग भारत के असम के मोरीगांव जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर बसा एक छोटा सा गांव है। आपको बता दें मायोंग गांव को ‘भारत की काला जादू राजधानी’ के नाम से जाना जाता है। इस ग्रामीण जगह का इतिहास काफी काला और भूतिया है।मायोंग भारत के असम के मोरीगांव जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर बसा एक छोटा सा गांव है। आपको बता दें मायोंग गांव को ‘भारत की काला जादू राजधानी’ के नाम से जाना जाता है। इस ग्रामीण जगह का इतिहास काफी काला और भूतिया है। वैसे यहां की गटे खड़े कर देने वाली चीजें रोमांच और भूत-प्रेत में विश्वास में रखने वाले लोगों को बेहद पसंद आती हैं। अगर आप किसी डरावनी या आसामन्य जगह पर जाने की सोच रहे हैं, तो असम की मायोंग जगह बेस्ट है। चलिए आपको इस गांव के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं, जहां न केवल बड़े बल्कि बच्चे यहां की टोटके वाली चीजों को बहुत अच्छे से जानते हैं।ऐमजॉन ग्रेट फ्रीडम फेस्टिवल में TVs पर सबसे बड़े ऑफर्स, मिस मत कीजिए चांस
मायोंग का नाम कैसे पड़ा
मायोंग नाम की उत्पत्ति कई कहानियों और स्रोतों में देखने को मिल सकती है, हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, इस बारे में कोई ठोस सबूत नहीं है। कुछ लोगों का कहना है कि ये संस्कृत शब्द माया से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘भ्रम’, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह मियोंग शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ दीमासा भाषा में हाथी होता है।
मायोंग गांव का इतिहास
मायोंग का जिक्र आप पौराणिक महाकाव्य महाभारत में भी देख सकते हैं। कहा जाता है कि घटोत्कच मायांग से कई जादुई शक्तियां प्राप्त करने के बाद महाभारत की लड़ाई में शामिल हुए थे। ग्रामीणों का मानना है कि काले जादू का अभ्यास करने वाले कई पुराने संत और चुड़ैल अभी भी मायोंग के जंगलों में आते हैं।
मायोंग का काला जादू
गांव की आधे से ज्यादा आबादी काले जादू के बारे में न केवल जानती ही है, बल्कि साथ में अभ्यास भी करती है। स्थानीय लोग हाथ की रेखाएं पढ़ने की कला जानते हैं। यहां के कुछ लोग भविष्य बताने का भी काम करते हैं और सीपियों और टूटे कांच के टुकड़ों का उपयोग करके किसी व्यक्ति के भविष्य की भविष्यवाणी करने का दावा करते हैं। यहां तक कि वे बिना दवा के, काले जादू से लोगों को ठीक भी कर देते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह शक्ति पीढ़ियों से चली आ रही है। किसी भी दर्द को दूर करने के लिए यहां के लिए यहां के लोग ताम्बे की प्लेट को उस जगह पर प्रेस करते हैं और दर्द को दूर करते हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने में भूत-प्रेत उनकी सहायता करते हैं। मायोंग में एक म्यूजियम, मायोंग सेंट्रल संग्रहालय और एक एम्पोरियम भी है, जिसमें टेप, हथियार और कई चीजों की प्रदर्शनी लगी हुई है।
मायोंग में पर्यटन
अपने काले जादू के कारण मायोंग धीरे-धीरे टूरिस्ट प्लेस में तब्दील होता जा रहा है। अगर आप एडवेंचर प्रेमी हैं और इतिहास के शौक़ीन है या केवल जादू देखने के शौकीन हैं, तो आपको मायोंग जैसी जगह पर घूमने में बड़ी दिलचस्पी आएगी। गांव में प्राचीन आयुर्वेद और काले जादू पर कुछ पुस्तकों के साथ-साथ कई कलाकृतियां और पुरातात्विक अवशेष हैं, जो मायोंग केंद्रीय संग्रहालय और एम्पोरियम में पाए जा सकते हैं। मायोंग के पास पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य है, जिसमें दुनिया में सबसे ज्यादा एक सींग वाले गैंडे हैं। इसके अलावा मायोंग पोबितोरा महोत्सव यहां हर नवंबर में मनाया जाता है। यहां आप स्थानीय लोगों के साथ बातचीत भी कर सकते हैं, कुछ कहानियों और टोटकों के बारे में जान सकते हैं।
मायोंग कैसे पहुंचें
मायोंग गुवाहाटी से 40 किलोमीटर दूर है। इसलिए गुवाहाटी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद, आप या तो सड़क मार्ग से वहां जा सकते हैं या जगीरोड रेलवे स्टेशन (मायोंग के सबसे नजदीक) के लिए ट्रेन ले सकते हैं।नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल) [ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. EkBharat News अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]